रोया है कोई फुर्सत से सारी रात,
वरना इस रुखसत-ए-दिसम्बर में मौसम खराब ना होता,
इरादा उसका भी बिछड़ने का लगा,
वो युं अचानक ही खामोश तो ना होता,
सामने अगर होता ये दामन छूटने से पहले पकड़ लेता,
जाओ नहीं कह कर युं बाहों में भर लेता, उससे जुदा ना होता..!
हो जाऊंगा रुखसत इस ज़माने से,
नहीं आऊंगा फिर किसी के बुलाने से,
फिर आओगी मेरे पास मेरी मौत के बहाने से,
मुझे फर्क नहीं पड़ेगा तेरे आने से,
रोओगी तुम मेरा ज़नाजा उठाने से,
मुझे फर्क नहीं पड़ेगा तेरे आंसू बहाने से,
जब पहुंच जाऊंगा मैं अपने ठेकाने में,
तुम्हे अफ़सोस होगा मेरे यूं चले जाने में..!
बस उन्हीं के लिए हमारे पास फ़ुरसत होती है,
जिनकी हमारे दिलों में हुकूमत होती है,
जो रखते नहीं पास दूसरों की इज़्ज़त का,
फिर उनके मुकद्दर सिर्फ ज़िल्लत होती है,
शुक्र है, उसे ये बात समझ आ तो गई,
किसी के दिल में रहना ही असल शोहरत होती है,
लोग अक्सर भूल जाते हैं उन्हें,
जिनके मुकद्दर गुरबत होती है,
वो मेरे काम सबसे पहले कर देता है,
मेरी मुस्कुराहट ही उसके लिए रिश्वत होती है,
कभी जो रखता था मेरी हर खुशी का ख़्याल,
अब तो हाल पूछने में भी उसको ज़हमत होती है,
वो गया है मेरी ज़िन्दगी से तो ऐसे गया है,
जैसे ख़ुशबू , फूलों से रुखसत होती है,
हर इंसान की एक कहानी होती है,
जिसकी कलम ,किस्मत के हाथ होती है,
कुछ बताते हैं, कुछ छुपाते हैं,
और कुछ खुद लिख लेते हैं,
कुछ लिखते हैं कागज़ो पर,
और कोई किसी की ज़िन्दगी में,
कुछ लोगों की पूरी तो कुछ की अधूरी रह जाती है,
कुछ लोगों की कहानी के हम किरदार,
और कोई हमारी कहानी का किरदार,
कुछ किरदार , जिन्हें पढ़ने में मज़ा आता है,
कुछ किरदार , जिन्हें हम पढ़ना ही नहीं चाहते,
कहानी के होने से नहीं, अंजाम से डर लगता है,
वक़्त से पहले कहानी के खत्म होने से डर लगता है,
कहानी ख़तम हो भी जाए तो लोगों के दिलों में रह जाती है,
फिर किसी की ज़ुबानी किसी को सुनाई जाती है,
किसी की कहानी का होता है हसीं आगाज़,
किसी की कहानी का होता है हसीं अंजाम,
आगाज़ से अंजाम तक का सफ़र ही कहानी है,
किसी से छुपानी है तो किसी को बतानी है..!
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