तेरी बातों में जो फ़िक्र थी और लहज़े में जो सब्र था,
वो सब ले जा रहा हूँ,
बिछड़ते हुए बस कुछ लफ़्ज़ों में जो प्यार रहा सिर्फ,
वही छोड़े जा रहा हूँ..!
तेरी बातों में जो फ़िक्र थी और लहज़े में जो सब्र था,
वो सब ले जा रहा हूँ,
बिछड़ते हुए बस कुछ लफ़्ज़ों में जो प्यार रहा सिर्फ,
वही छोड़े जा रहा हूँ..!
फ़ैसला मुश्किल है तुझसे दूर रहने का,
फिर भी सोचता है न वापस आने का,
दिल को बहलाना आसान नहीं वैसे,
अगर रो दे तो तरीक़ा नहीं मिलता समझाने का..!
उससे एक मुलाकात जबसे हुई,
प्यार की बरसात तबसे हुई,
भीगे इस कदर हम उसके साथ,
हर बारिश में भीगने की चाहत तबसे हुई..!
अरे मैंने उसे मना के देखा,
बहुत बार समझा के देखा,
मुझे वो याद आ ही जाता है,
कई बार जिसे भुला के देखा..!
तुम आओ अगर इस शहर में वापस तो,
उस सागर से ज़रूर मिलना तुम जहां हम पहली दफा मिले थे,
वहा वो बताएगा तुम्हें कि जान देने आयी थी वो यहां,
उसे जान क्यों देनी थी उसे खुद पता नहीं था,
वो बस ऐसा नहीं कर कर सकी,
वो परिवार कि बंदिशों में बंध चुकी थी,
इस समाज के लोग, ये वादियां उन्हें कितने ताने देंगे,
उसने जान नहीं दी पर उसे यहीं बसना था मेरे साथ,
वो हर रोज यहां आकर आंसू बहाती थी,
जिसमें भीग कर दुनिया जश्न मानती थी,
उसके आसुं खत्म नहीं होते और मैं कभी सुखा ना रहा,
उस कि आंखे देख में वापस लौट आता हूं,
वो हर रोज खुद को मुझसे ज्यादा भर कर लाती हैं...
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