कितना दुशवार है भरम रखना
ज़िंदगी सोच कर क़दम रखना
जिस प तुमको यकीं ज़ियादा हो
उस से उम्मीद कम से कम रखना
जब बुज़ुर्गों से तुम मुख़ातिब हो
अपने सर को ज़रा सा ख़म रखना
हर दुआ होगी फिर तेरी मक़बूल
शर्त ये है के चश्म नम रखना
दौरे हाज़िर में ए मेरे मौला
अपने आरिफ़ का तू भरम रखना
