बे-वफ़ा जब पुकारा गया
उनकी जानिब इशारा गया
मै जुनूं ज़ाद देखो ज़रा
उस गली में दोबारा गया
ये मुनाफे की शय ही नहीं
इश्क़ में सिर्फ हारा गया
देखिए क़त्ल करके हमें
हमको क़ातिल पुकारा गया
लो उठी उनकी तेग-ए-नज़र
कोई बे मौत मारा गया
चाहिए था खिलौना उन्हें
मैं जमीं पर उतारा गया
क्या कहूं जब से जां तू गई
चैन भी तो हमारा गया
था सहारा तेरी दीद का
अब तो वो भी सहारा गया
बाद तेरे गुज़ारा न था
फिर भी देखो गुज़ारा गया