Banna chahta Hu

उसे जैसा हमसफर चाहिए था,
मै वैसा बनना चाहता हु,

घर वालो की जिम्मेदारी उठा सकू,
वैसा बेटा बनना चाहता हु,

बहन से कभी प्यार से बात नही किया,
एक अच्छा भाई बनना चाहता हु,

दुनिया की नज़रों मे बुरा बन चुका हूं,
रब की नज़र मे अच्छा बनना चाहता हु...!

Arman tarique By : Arman tarique

Dard Shayari Views - 435 26th Feb 2022

Bada Gunehgaar

Har kareebi Inshaan se Door ho raha hu mai,
Adhi raat hai dard se ro raha hu mai,

Neend bhi uss waqt aati hai jab rab ke Aur kareeb Aa saku,
Wo rahmat se bhi door ho raha hu mai,

Bhot bada gunehgaar hu ahsaas hai mujhe,
Pata nhi phir bhi Kyun Jahannami sa ho rha hu mai...

Arman tarique By : Arman tarique

Dard Shayari Views - 364 25th Feb 2022

Ek aur saal rukhsat kar diya

आंखों में तेरा समाया हुआ रंग ओ जमाल रुख़्सत कर दिया,
मैंने अपनी ज़िन्दगी का एक और साल रुख़्सत कर दिया,
 
रुख़्सत कर दिया उस हर एक चीज़ को जिसके सामने आ जाने से मुझे तेरी याद आती थी,
में रोता था तन्हा किसी कमरे के कोने में बैठ कर और खामोशी मुस्कुराती थी,
मैं जब भी मेज़ पर बैठता था, काग़ज़, कलम और कुछ रंग लेकर,
ज़ेहन में बस तेरी तस्वीर आती थी और बना देता था,
 
लेकिन अब अपने हाथों से मैंने ये कमाल रुख़्सत कर दिया,
मैंने अपनी ज़िन्दगी का एक और साल रुख़्सत कर दिया,
 
बेवक्त आकर मेरे दिल के फले फूले दरख़्त को पतझड़ में तब्दील कर देता था,
कभी आता था तो आकर अकेला जाता था तो कभी मेरी खुशी, 
मेरी हंसी, मेरे ठहाके मेरा खिलखिलाना मुझसे छीन कर ले जाता था,
ये तेरा ख़्याल ही तो था जो ऐसा करता था मेरी आंखो को नम करता था,
 
लेकिन अब दिल और दिमाग़ से तेरा ख़्याल रुख़्सत कर दिया,
मैंने अपनी ज़िन्दगी का एक और साल रुख़्सत कर दिया,
 
वो चाय आज भी याद है जो हम मिल कर पिया करते थे,
वो तुम्हारा चुस्कियां लगाना, सुर सुर कर के सारी चाय पी जाना 
और फिर हंसकर दूर भाग जाना मेरे हाथ न आना,
 
मैं अक्सर सवाल पूछा करता था उसकी तबियत के बारे में,
कि मुझ से बिछड़ कर अब तुम्हारे दिल को राहत तो है न?
गुज़रे वक्त के जैसी मेरी चाहत तो है न? 
तुम्हारे दिल पे अब भी मेरी हुक़ूमत तो है न?
मेरे हंसी से, आवाज़ से मोहब्बत तो है न?
 
लेकिन अब आंख से जुबान से ये सवाल रुख़्सत कर दिया,
मैंने अपनी ज़िन्दगी का एक और साल रुख़्सत कर दिया...

 

Jami Ansari By : Jami Ansari

Nazm Shayari Views - 421 31st Dec 2021

Jab kabhi barish hoti hai

जब कभी बारिश होती है,
 
तो तुम्हारी याद भी सीने में ताज़ा हो जाती है,
वो बारिश में तुम्हारा भीगना,
वो बरसते हुए पानी में तुम्हारा छम छम करके उछलना,
बारिश में भीगते भागते एक्टिवा से लॉन्ग ड्राइव पे जाना,
और तुम्हारा पीछे से मुझे ज़ोर से पकड़ना,
फिर मेरे गीले बालों को टॉवेल से पोछना,
फिर मेरे मासूम से दिल की एक गुजारिश होती है,
तुम्हारे नर्म हाथों से बनी गर्म चाय पीने की ख्वाहिश होती है,
बस तुमसे मेरी जान यही फरमाइश होती है,
 
जब कभी बारिश होती है, जब कभी बारिश होती है..!

Hayat Ansari By : Hayat Ansari

Barish Poetry Views - 385 4th Dec 2021

Behad aati hai yaad

गुज़रे हुए दिन,
गुज़री हुई रात,

गुज़रे हुए लम्हें,
गुज़री हुई बात,

गुज़रा हुआ वक़्त,
गुज़रा हुआ साथ,

गुज़री हुई ज़िन्दगी,
बेहद आती है याद..!

Ammara Khan By : Ammara Khan

Zindagi Shayari Views - 342 25th Jul 2021
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