क्यों ना किसी से दिल लगा कर देखते हैं,
अपनी भी एक कहानी बना कर देखते हैं,
क्यों ना किसी से कसमे वादे निभा कर देखते हैं,
इश्क में अपना सब कुछ लुटा कर देखते हैं,
क्यों ना मोहब्बत में अपना दिल तोड़ा कर देखते हैं,
गमों के आशियाने सजा कर देखते हैं,
क्यों ना तेरी गली में आकर देखते हैं,
अपनी इन ख्वाहिशों को आज़मा कर देखते हैं..!
इस हँसी के पीछे कोई तो दर्द की कहानी है,
सुनी है या अनसुनी है, शायद थोड़ी सी पुरानी है,
तुम्हें कहना है कुछ लेकिन कह नहीं पाओगे,
अरे ! भूल गये क्या? ये बचपन नहीं, जवानी है,
तुम्हें सीखना होगा जीना एक ऐसे रेगिस्तान में,
जहाँ सागर सी है रेत, और दो बूँद पानी है,
क्यों उदास होते हो तुम इस आशिकी में,
देखा है इसका असर, आज भी दुनिया इसमें दीवानी है..!
उसे मालूम थी हकीकत,
उसके बिना मेरी हालत कैसी हो जाती है,
उसने देखा है मुझे तड़पते हुए,
याद उसकी मुझे पूरा पागल कर जाती है,
कहीं हो ना जाए वो दूर मुझसे,
ये एक ख्याल से मेरी जान निकल जाती है,
तुमने देखा है मुझमें जो अलग,
वो सारी चीज़े उससे मेल खाती है..!
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