क्यों ना किसी से दिल लगा कर देखते हैं,
अपनी भी एक कहानी बना कर देखते हैं,
क्यों ना किसी से कसमे वादे निभा कर देखते हैं,
इश्क में अपना सब कुछ लुटा कर देखते हैं,
क्यों ना मोहब्बत में अपना दिल तोड़ा कर देखते हैं,
गमों के आशियाने सजा कर देखते हैं,
क्यों ना तेरी गली में आकर देखते हैं,
अपनी इन ख्वाहिशों को आज़मा कर देखते हैं..!