Meri tanhaai meri mehram hai

मेरी तन्हाई मेरी हमदम है,
मेरे अक़्स में वो बरहम,

जो दे कोई गम मुझे,
मेरी जख्मों का वो मरहम है,

मेरे अश्कों में जो पुरनाम,
मेरी तन्हाई ही मेरी महरम है..!

Ammara Khan By : Ammara Khan

Tanhai Shayari Views - 362 30th Jan 2022

Justju main nikle hain

ज़माने से थक कर खुद की ही जुस्तजू में निकलें हैं,
आज सफर में साथ काफिले की आरज़ू में निकलें हैं,

हम तन्हा थे, ताउम्र तन्हा ही रहे,
खुद से करने खुद ही गुफ्तगू निकले है,

जिससे मिलकर फिर मुझे किसी इत्र की ज़रूरत ना रहे,
तलाश करने कोई ऐसी ख़ुशबू में निकले हैं,

उसका कहना था के वो इश्क़ नहीं जानता,
उसकी आलमारी से दो चार खत उर्दू में निकले हैं..!

Rushda Sadaf By : Rushda Sadaf

Mohabbat Shayari Views - 279 25th Jan 2022

Maa deti rahi duaaon pe duaayen mujhe

वो जिधर देती रही सदाओं पे सदाएं मुझे,
उड़ा ले गईं उधर हवाओं पे हवाएं मुझे,
 
थी ग़म ए यार की बीमारी मैं ठीक होता कैसे,
खिलाई गईं तमाम दवाओं पे दवाएं मुझे,
 
कभी उठना आंखो का कभी जुल्फें लहराना,
मार डालेगी तेरी ये अदाओं पे अदाएं मुझे,
 
तू ख़ामोश खड़ा था तब, जब मोहब्बत की,
सुनाई जा रहीं थी सज़ाओं पे सज़ाएं मुझे,
 
मैं वो जो उसके हंसने पर सब भूल जाता हूं,
और वो गिनाती रही खताओं पे खताए मुझे,
 
एक मैं, जो अपनी मां को कुछ न दे सका जामी,
और एक मां जो देती रही, दुआओं पे दुआएं मुझे..!

Jami Ansari By : Jami Ansari

Mohabbat Shayari Views - 431 25th Jan 2022

Kisi ki justju me ky koi aah bharta hai

किसी की आबरू के खातिर क्या कोई मरता है,
किसी की जुस्तजू में क्या कोई आह भरता है,

किसी की गुफ्तगू से क्या कोई बिखरता है,
दिल_ए_दर्द भी क्या कोई मरहम से सुधरता है,

किसी के हुबाहु भी क्या कोई मिलता है,
नशा ये आरज़ू का बताओ कैसे उतरता है..!

Ammara Khan By : Ammara Khan

Dard Shayari Views - 313 23rd Jan 2022

Maine us par likhi hai ek gazal

मैंने उस पर लिखी है एक ग़ज़ल,
वो ऐसी है जैसे कीचड़ में खिलता कमल.

मैंने भेजा है एक गुलाब उसको,
ये है मेरी तरफ से छोटी सी पहल,

क्या बताऊं? कितनी लावारिश हैं यादे उसकी,
उसकी यादों से मेरी इबादत में पड़ता है खलल,

कितने भी कठिन मरहलें हों ज़िन्दगी में,
मां की दुआए साथ हो तो है हर काम है सहल,

मुझको यूं नज़र अंदाज़ करके ना जा,
मुझको उजाड़ने में सिर्फ तेरा है दखल,

मुझसे लग कर ही बुनती है वो सारे सपने,
उसके लिए मेरा कंधा ही है रहल..!

Rushda Sadaf By : Rushda Sadaf

Mohabbat Shayari Views - 309 16th Jan 2022
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