Mujhko yaad to karti hogi

जब वो तन्हा बैठी होगी,
मुझको याद तो करती होगी,

और लेट के अपने बिस्तर पर,
तकियों के संग वो रोती होगी,

चाय के रखे होंगे दो कप,
एक को भी न छूती होगी,

मन खट्टा उसका होता होगा,
बात कुछ ऐसी होती होगी,

गुज़रे लम्हों की मीठी यादें,
फीकी चाय में घोल के जब वो,
झूठे घूंट भरती होगी,
मुझको यकीन है इतना तो,

मेरे साथ को मरती होगी,
मुझको याद तो करती होगी,
मुझको याद तो करती होगी..!

Jami Ansari By : Jami Ansari

Chai Poetry Views - 917 19th Nov 2022

Aazad hai hum

आज़ाद है हम
आज़ाद है हिन्दुस्तान हमारा,

फिर क्यूं करते है हम,
मज़हबों के नाम पर बटवारा,

हिन्दू, मुस्लिम, सिख,ईसाई ,
सब का था स्वतंत्रता का नारा,

आज भी क्यूं लड़ रहे है हम,
अपने अपने हक के लिए दोबारा,

क्यूं ना अपने दिलों से अन्धकार मिटाए
जलाएं प्रेम का दीप प्यारा,

सब मिलकर एक हो जाएं,
बन जाएं एक दूसरे का सहारा,

सब की मुश्किलों में काम आएं,
करें भेद,भाव से किनारा,

ये देश हमारा सब से न्यारा,
चाहे सुख शान्ति का गुज़ारा..!

Ammara Khan By : Ammara Khan

Paigaam Shayari Views - 453 16th Aug 2022

Shaam wali chai

पतझड़ में भी बहार होती है, शाम वाली चाय,
बहुत खुश-गवार होती है, शाम वाली चाय,

शराब पीलो, सिगरेट पीलो, या पीलो तुम जूस,
इन सब से शानदार होती है, शाम वाली चाय,

दोपहर की मेरी थकान अक्सर मिटा देती है,
अमृत में शुमार होती है, शाम वाली चाय,

उन दोस्तों का बिल अक्सर ज़्यादा कटता है,
जिन पर उधार होती है, शाम वाली चाय,

न पत्ती और दूध कम, न चीनी और पानी ज़्यादा,
स्वाद के अनुसार होती है, शाम वाली चाय,

सुबह दोपहर की एक एक, और रात की भी एक,
लेकिन चार-चार होती है, शाम वाली चाय,

"जामी" गैस जलाता है, फिर उबाल आता है,
तब जा के तैयार होती है, शाम वाली चाय..!

Jami Ansari By : Jami Ansari

Chai Poetry Views - 920 21st Jun 2022

Baat apni

मैं कभी कह न सका बात अपनी,
है बहुत अजब सी ये जात अपनी,

थीं सभी की निगाह हमारी ज़ानिब,
किसी सूरत न हुई मुलाक़ात अपनी,

वो आई भी हंस के बोलती भी रही,
मगर छुपा गई हर एक बात अपनी,

वो जो मुझे पसंद है, शहजादी है,
उस जैसी तो नहीं है औकात अपनी,

सारे मौसम बस महलों के लिए हैं,
फूस की गर्मी न  ही बरसात अपनी,

कैसे आए इस मुआशरे में हम दर्दी,
सबको लगती है ऊँची जात अपनी,

जबसे बिछड़ गया है हमसफ़र मेरा,
तारे गिनते हुए कटती है रात अपनी,

गीबतें छोड़ दो, मान लो ये मशविरा,
या तो चुप रहो या करो बात अपनी..!

Dr. Adil Husain By : Dr. Adil Husain

Nazm Shayari Views - 664 24th Mar 2022

Kitne thikane hain bata to Sahi

तेरे दिल में कितने ठिकाने हैं, बता तो सही,
मुझसे मिलने के कितने बहाने हैं , बता तो सही, 

तेरी हंसी के पीछे आंखों में नमी देख लेते हैं,
तेरे दोस्त कितने पुराने हैं, बता तो सही, 

हज़ार अफसाने मौजूद हैं नाकाम मुहब्बत के,
तुझे किस्से कितने सुनाने हैं, बता तो सही, 

मैं तैयार करके आया हूं जिस्म व दिल को तेरे मुताबिक,
तुझे ज़ख्म कितने लगाने हैं, बता तो सही, 

वैसे तो हर कोई दिखाई देता है अपना यहां,
तुझको गले से कितने लगाने हैं बता तो सही, 

हर बार ही हार मिली है हमें रिश्तों को निभाने में,
हार के जस्न कितने मानने हैं, बता तो सही..!

Rushda Sadaf By : Rushda Sadaf

Dhoka Shayari Views - 590 1st Mar 2022
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