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Gussa nahi karta hu

मैं कोई काम एक सा नहीं करता हूं,
और ये भी के तमाशा नहीं करता हूं,

रो लेता हूं जब कोई बात बुरी लगती है,
कभी किसी पर गुस्सा नहीं करता हूं,

कर लेता हूं याद कभी कभी उसको,
हां मगर हमेशा नहीं करता हूं,

रख लेता हूं राज़ दिल में पोशीदा,
और उनका खुलासा नहीं करता हूं,

ज़िन्दगी ने जो सबक दिए हैं "जामी",
अब किसी पर भरोसा नहीं करता हूं..!

Jami Ansari By : Jami Ansari

Zamaana Shayari Views - 926 13th Feb 2021
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Mulaqaat par kitaab likhunga

उससे मेरी मुलाक़ात पर किताब लिखूंगा,
हर खट्टी मीठी बात पर किताब लिखूंगा,

वो पहली शब जो तूने कहा, करीब आ गले लगा,
मैं तेरी इन गुज़ारिशात पर किताब लिखूंगा,

चम चमाते जो तूने उस रात पहने हुए थे,
मैं तेरे उन सारे ज़ेवरात पर किताब लिखूंगा,

लोगों ने किताबें लिखी है मैथ की साइंस की,
मैं अपनी शरीक-ए-हयात पर किताब लिखूंगा,

ये अच्छे या बुरे हैं "जामी" दोनों के दरमियान,
जैसे भी हैं सब लम्हात पर किताब लिखूंगा..!

Jami Ansari By : Jami Ansari

Romantic Shayari Views - 648 10th Feb 2021
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Aashiqi nahi karunga me

तन्हा रह लूंगा मगर, आशिक़ी नहीं करूंगा में,
अपने दिल के कोने में तीरगी नहीं करूंगा में,

वो बिछड़ गया है तो क्या अब भी यार है मेरा,
उसकी यादों में जियुंगा, खुदकुशी नहीं करूंगा में,

मेरा वो दोस्त जो दोस्त रह कर भी दोस्त नहीं,
अब उससे दोबारा कभी दोस्ती नहीं करूंगा में,

मेरे हिस्से में तू जो आई है ख़ुदा की तरफ से,
कैसे कह दूं तुझसे कभी शादी नहीं करूंगा में,

बड़े से बड़े दाम में भी तू मुझे खरीद ना सके,
जान बुझ कर खुद को इतना कीमती नहीं करूंगा में,

तुझसे जुदाई का सफ़र तय करते हुए जो दूर पहुंचा,
"जामी" तेरी दुनिया में कभी वापसी नहीं करूंगा में..!

Jami Ansari By : Jami Ansari

Zindagi Shayari Views - 734 4th Feb 2021
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Pyar ki barish

प्यार की बारिश हो रही है,
सपने मै नये बुन रही हूँ,

प्यार की बारिश हो रही है,
ख्यालों मै तेरे गुम हो रही हूँ,

प्यार की बारिश हो रही है,
तेरी आँखो के जाम मै पी रही हूँ,

प्यार की बारिश हो रही है,
बाहों मे तेरी मै पिघल रही हूँ,

प्यार की बारिश हो रही है,
खुद को मै तुझमे खोज रही हूँ..!

Aliya khan By : Aliya khan

Barish Poetry Views - 613 2nd Feb 2021
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Roothi padi hui hain

खुशियां मुझसे आज कल रूठी पड़ी हुईं हैं,
चंद ख्वाबों की मंज़िलें उजड़ी पड़ी हुईं हैं,

एक तूफ़ान के आते ही समंदर भर में,
सारी की सारी कश्तियां उल्टी पड़ी हुईं है,

अजीब उलझन है की मात किसको दूं,
मेरी तो दुश्मनों में भी दोस्ती पड़ी हुईं हैं,

दरिया है, समंदर है, झील है क्या है ज़मीं पर,
जो आंसुओं की चंद बूंदें टपकी पड़ी हुई है,

बेहद मिठास हो गई थी हम दोनों के दरमियान,
इसलिए हम दोनों में अब चींटी पड़ी हुईं हैं,

पीछा नहीं छोड़ती "जामी" उम्र बढ़ने पर भी,
यादें बचपन की इस तरह लिपटी पड़ी हुईं है..!

Jami Ansari By : Jami Ansari

Aansoo Shayari Views - 731 28th Jan 2021
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