खुशियां मुझसे आज कल रूठी पड़ी हुईं हैं,
चंद ख्वाबों की मंज़िलें उजड़ी पड़ी हुईं हैं,
एक तूफ़ान के आते ही समंदर भर में,
एक तूफ़ान के आते ही समंदर भर में,
सारी की सारी कश्तियां उल्टी पड़ी हुईं है,
अजीब उलझन है की मात किसको दूं,
अजीब उलझन है की मात किसको दूं,
मेरी तो दुश्मनों में भी दोस्ती पड़ी हुईं हैं,
दरिया है, समंदर है, झील है क्या है ज़मीं पर,
दरिया है, समंदर है, झील है क्या है ज़मीं पर,
जो आंसुओं की चंद बूंदें टपकी पड़ी हुई है,
बेहद मिठास हो गई थी हम दोनों के दरमियान,
बेहद मिठास हो गई थी हम दोनों के दरमियान,
इसलिए हम दोनों में अब चींटी पड़ी हुईं हैं,
पीछा नहीं छोड़ती "जामी" उम्र बढ़ने पर भी,
पीछा नहीं छोड़ती "जामी" उम्र बढ़ने पर भी,
यादें बचपन की इस तरह लिपटी पड़ी हुईं है..!