ख़ामियां तो बहुत थी मुझ में, पर वो नज़र अंदाज़ करता था,
मेरी हर ख़ता और गलती को वो माफ़ करता था,
मेरी हर ख्वाहिश को पूरा करने के लिए मशक्कते हज़ार करता था,
मेरी ख़ुशी के लिए अपनी हर खुशियाँ बरबाद करता था,
वो पागल भी न मुझे कितना प्यार करता था..!
ख़ामियां तो बहुत थी मुझ में, पर वो नज़र अंदाज़ करता था,
मेरी हर ख़ता और गलती को वो माफ़ करता था,
मेरी हर ख्वाहिश को पूरा करने के लिए मशक्कते हज़ार करता था,
मेरी ख़ुशी के लिए अपनी हर खुशियाँ बरबाद करता था,
वो पागल भी न मुझे कितना प्यार करता था..!
Suno,
Sath kuch waqt guzarenge,
Zara furasat se milo.
Jb sitaron se lipta aasama ho,
Chand ki Roshni me duba Samaa ho,
Sath kuch waqt guzarenge,
Zara furasat se milo.
Kbhi khamoshiya kbhi kuch baat ho,
Khule Aasma ke niche hm sath ho,
Khaas kuch Lamhe guzarenge,
Zara furasat se milo.
Kbhi izhaar krungi kbhi inkaar krungi,
Kbhi tumko gale se lga lungi.
Suno,
Zara furasat se milo...
उन का वादा है के वो लौट आयँगे,
इसी उम्मीद पर हम जीये जाएँगे,
ये इन्तजार भी उन ही की तरह प्यारा है,
कर रहे थे ,कर रहे है, किए जाएँगे..!
फ़र्क नहीं पड़ता मुझे जुदाई से उसकी,
हाँ, वो बेवफा था, और दिखा दी उसने बेवफाई अपनी,
बहुत शौक था उसे मेरा दिल तोड़ने का,
"जा" तेरे जाने से रास आ गई मुझे तन्हाई अपनी..!
कुछ यूं लिखा है हमें उन के बारे में...
उसे अफ़सोस भी था और उसने हमें मनाया भी,
वो मेरा ये हाल देख कर रोया और, मुस्कुराया भी,
वो पागल मेरा अपना भी था ,और पराया भी..!
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