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ऐ मेरे हमसफ़र,
क्यु छोड़ गया इस मोड़ पर,
ना जाने हुआ है ऐसा क्यु
होता था कभी पास मेरे,
अब है इतना दुर क्यु,
आ जाओ ना अब रूबरू,
करनी है कुछ गुफ्तगु,
देखूँ तुझे में एक दफ़,
मिल जाए मेरे दिल को सुकू,
चाहे फिर लौट कर चले जाना तु,
फिर ना करूँगी मिलने की ये आरज़ू..!
बदलना फितरत थी उसकी वो बदल गया,
चलो इसी बहाने हमारा दिल भी संभल गया,
कब तक जकड़े रहते अपनी मोहब्बत को उसके झूठे वादों से,
अच्छा हुआ वो जल्द ही मुकर गया,
वफ़ा-ए-मोहब्बत इस कलियुग में किसने निभाई है,
तो क्या हुआ गर हमारे आंखों का अश्क पिघल गया,
हम भी करते थे कभी प्यार -मोहब्बत की बातें,
तुम्हारा जो आज है, हमारा वो कल गुजर गया...
"सन्नाटा आता है, कोई शोर नहीं आता है,
जहाँ मैं पहुंचा हूँ, कोई और नहीं आता है"
Dard ki dawa, dard ke siwa kya hai,
Koi aur dard le ke dekhte hai, akhir hua kya hai...
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