ऐ मेरे हमसफ़र,
क्यु छोड़ गया इस मोड़ पर,
ना जाने हुआ है ऐसा क्यु
होता था कभी पास मेरे,
अब है इतना दुर क्यु,
आ जाओ ना अब रूबरू,
करनी है कुछ गुफ्तगु,
देखूँ तुझे में एक दफ़,
मिल जाए मेरे दिल को सुकू,
चाहे फिर लौट कर चले जाना तु,
फिर ना करूँगी मिलने की ये आरज़ू..!
