बदलना फितरत थी उसकी वो बदल गया,
चलो इसी बहाने हमारा दिल भी संभल गया,
कब तक जकड़े रहते अपनी मोहब्बत को उसके झूठे वादों से,
अच्छा हुआ वो जल्द ही मुकर गया,
वफ़ा-ए-मोहब्बत इस कलियुग में किसने निभाई है,
तो क्या हुआ गर हमारे आंखों का अश्क पिघल गया,
हम भी करते थे कभी प्यार -मोहब्बत की बातें,
तुम्हारा जो आज है, हमारा वो कल गुजर गया...