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Andaaz

नफ़रत करते हैं वो लोग मुझसे..
जिनसे मैं तेरे अंदाज में बात करती हूं..!

Heena dangi By : Heena dangi

Dard Shayari Views - 468 13th Aug 2022
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Saagar

तुम आओ अगर इस शहर में वापस तो,
उस सागर से ज़रूर मिलना तुम जहां हम पहली दफा मिले थे,

वहा वो बताएगा तुम्हें कि जान देने आयी थी वो यहां,
उसे जान क्यों देनी थी उसे खुद पता नहीं था,

वो बस ऐसा नहीं कर कर सकी,
वो परिवार कि बंदिशों में बंध चुकी थी,

इस समाज के लोग, ये वादियां उन्हें कितने ताने देंगे,
उसने जान नहीं दी पर उसे यहीं बसना था मेरे साथ,

वो हर रोज यहां आकर आंसू बहाती थी,
जिसमें भीग कर दुनिया जश्न मानती थी,

उसके आसुं खत्म नहीं होते और मैं कभी सुखा ना रहा,
उस कि आंखे देख में वापस लौट आता हूं,

वो हर रोज खुद को मुझसे ज्यादा भर कर लाती हैं...

Heena dangi By : Heena dangi

Judaii Poetry Views - 322 3rd Aug 2022
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Shaam wali chai

पतझड़ में भी बहार होती है, शाम वाली चाय,
बहुत खुश-गवार होती है, शाम वाली चाय,

शराब पीलो, सिगरेट पीलो, या पीलो तुम जूस,
इन सब से शानदार होती है, शाम वाली चाय,

दोपहर की मेरी थकान अक्सर मिटा देती है,
अमृत में शुमार होती है, शाम वाली चाय,

उन दोस्तों का बिल अक्सर ज़्यादा कटता है,
जिन पर उधार होती है, शाम वाली चाय,

न पत्ती और दूध कम, न चीनी और पानी ज़्यादा,
स्वाद के अनुसार होती है, शाम वाली चाय,

सुबह दोपहर की एक एक, और रात की भी एक,
लेकिन चार-चार होती है, शाम वाली चाय,

"जामी" गैस जलाता है, फिर उबाल आता है,
तब जा के तैयार होती है, शाम वाली चाय..!

Jami Ansari By : Jami Ansari

Chai Poetry Views - 786 21st Jun 2022
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Baat apni

मैं कभी कह न सका बात अपनी,
है बहुत अजब सी ये जात अपनी,

थीं सभी की निगाह हमारी ज़ानिब,
किसी सूरत न हुई मुलाक़ात अपनी,

वो आई भी हंस के बोलती भी रही,
मगर छुपा गई हर एक बात अपनी,

वो जो मुझे पसंद है, शहजादी है,
उस जैसी तो नहीं है औकात अपनी,

सारे मौसम बस महलों के लिए हैं,
फूस की गर्मी न  ही बरसात अपनी,

कैसे आए इस मुआशरे में हम दर्दी,
सबको लगती है ऊँची जात अपनी,

जबसे बिछड़ गया है हमसफ़र मेरा,
तारे गिनते हुए कटती है रात अपनी,

गीबतें छोड़ दो, मान लो ये मशविरा,
या तो चुप रहो या करो बात अपनी..!

Dr. Adil Husain By : Dr. Adil Husain

Nazm Shayari Views - 562 24th Mar 2022
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Kitne thikane hain bata to Sahi

तेरे दिल में कितने ठिकाने हैं, बता तो सही,
मुझसे मिलने के कितने बहाने हैं , बता तो सही, 

तेरी हंसी के पीछे आंखों में नमी देख लेते हैं,
तेरे दोस्त कितने पुराने हैं, बता तो सही, 

हज़ार अफसाने मौजूद हैं नाकाम मुहब्बत के,
तुझे किस्से कितने सुनाने हैं, बता तो सही, 

मैं तैयार करके आया हूं जिस्म व दिल को तेरे मुताबिक,
तुझे ज़ख्म कितने लगाने हैं, बता तो सही, 

वैसे तो हर कोई दिखाई देता है अपना यहां,
तुझको गले से कितने लगाने हैं बता तो सही, 

हर बार ही हार मिली है हमें रिश्तों को निभाने में,
हार के जस्न कितने मानने हैं, बता तो सही..!

Rushda Sadaf By : Rushda Sadaf

Dhoka Shayari Views - 531 1st Mar 2022
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