दुआओं में माँगा यही कि न हो कोई गुनाह हमसे,
फिर पता नहीं ये इश्क़ क्यों और कैसे हुआ तुमसे..!
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दुआओं में माँगा यही कि न हो कोई गुनाह हमसे,
फिर पता नहीं ये इश्क़ क्यों और कैसे हुआ तुमसे..!
महकी है फिजा या हवाओ की साजिश है,
बरस रहा है तेरा प्यार या हो रही बारिश है..!
अरे मैंने उसे मना के देखा,
बहुत बार समझा के देखा,
मुझे वो याद आ ही जाता है,
कई बार जिसे भुला के देखा..!
बारिश का मौसम सुहाना सा सफर,
अहसासे मोहब्बत, और चाय की तलब...!
बोहोत किया इजहार उसे अपने इश्क़ का जवाब में बस बहाने मेले,
फिर भी मिलते है हम उनसे हर शाम भले ही दोस्ती के बहाने मेले..!
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