जब वो तन्हा बैठी होगी,
मुझको याद तो करती होगी,
और लेट के अपने बिस्तर पर,
और लेट के अपने बिस्तर पर,
तकियों के संग वो रोती होगी,
चाय के रखे होंगे दो कप,
चाय के रखे होंगे दो कप,
एक को भी न छूती होगी,
मन खट्टा उसका होता होगा,
मन खट्टा उसका होता होगा,
बात कुछ ऐसी होती होगी,
गुज़रे लम्हों की मीठी यादें,
गुज़रे लम्हों की मीठी यादें,
फीकी चाय में घोल के जब वो,
झूठे घूंट भरती होगी,
झूठे घूंट भरती होगी,
मुझको यकीन है इतना तो,
मेरे साथ को मरती होगी,
मेरे साथ को मरती होगी,
मुझको याद तो करती होगी,
मुझको याद तो करती होगी..!