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Aainaa Aukaat ka

मज़हबों के नाम पर भरा हुआ,
जहालियाती का बाज़ार नहीं देखते,

जिसकी शक्लो सूरत हो अच्छी,
लोग उसका किरदार नहीं देखते,

वही दिखाते है आईना औकात का,
जो अपनी हालत का सुधार नहीं देखते,

जिन्हें लगाव होता है अपने अपनों से,
ऐसे अपनों में कोई दरार नहीं देखते,

जिन्हें जुनून होता है कुछ कर दिखाने का,
ऐसे जज़्बो में कोई हार नहीं देखते,

जो रिश्ता निभाया जाए "अम्मारा" मतलब के लिए,
ऐसे रिश्तों में कोई प्यार नहीं देखते..!

Ammara Khan By : Ammara Khan

Paigaam Shayari Views - 330 15th Feb 2022
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sach ko sach kehna chhod dete hain

दिल को टूटा हुआ खिलौना समझ कर छोड़ देते है,
यहां अपने ही अपनों को रोता छोड़ देते है,

बड़े ही ख़ुदग़र्ज़ है लोग यहां,
चन्द सिक्को के खातिर गरीबों को बिलकता छोड़ देते है,

ये कैसा रंग बदल रहा है ज़माने का,
यहां अपने से कमज़ोरो को बिखरता छोड़ देते है,

कितने कमज़र्फ हो गए है लोग यहां,
यहां मजबूरो को तड़पता छोड़ देते है,

ताज्जुब ही ताज्जुब है इस दौरे सियासत में,
यहां रियासत को अपनी तरसता छोड़ देते है,

यहां छाया हुआ है असल में मौसम शौहरत का,
बिक जाए अगर इंसान तो सच को सच कहना छोड़ देते है..!

Ammara Khan By : Ammara Khan

Dard Shayari Views - 351 7th Feb 2022
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Raat ki tanhaai mein

ज़िन्दगी यूं बसर हुई हमारी तन्हाई में,
कभी हम रहे भीड़ में, कभी रहे तन्हाई में,

हर वक़्त मुस्कुराते रहे हम लोगों के सामने,
आंख से आंसू निकले सिर्फ रात की तन्हाई में,

अभी तो बहुत मशरूफ हूं, ज़िन्दगी के जमेलों में,
खुद के लिए वक़्त निकालूंगा कभी शब-ए-तन्हाई में,

मजबूरी-ए-हयात का क्या कहना लोगों,
हम तन्हा ही ना हुए कभी तन्हाई में..!

Rushda Sadaf By : Rushda Sadaf

Tanhai Shayari Views - 253 1st Feb 2022
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Meri tanhaai meri mehram hai

मेरी तन्हाई मेरी हमदम है,
मेरे अक़्स में वो बरहम,

जो दे कोई गम मुझे,
मेरी जख्मों का वो मरहम है,

मेरे अश्कों में जो पुरनाम,
मेरी तन्हाई ही मेरी महरम है..!

Ammara Khan By : Ammara Khan

Tanhai Shayari Views - 252 30th Jan 2022
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Justju main nikle hain

ज़माने से थक कर खुद की ही जुस्तजू में निकलें हैं,
आज सफर में साथ काफिले की आरज़ू में निकलें हैं,

हम तन्हा थे, ताउम्र तन्हा ही रहे,
खुद से करने खुद ही गुफ्तगू निकले है,

जिससे मिलकर फिर मुझे किसी इत्र की ज़रूरत ना रहे,
तलाश करने कोई ऐसी ख़ुशबू में निकले हैं,

उसका कहना था के वो इश्क़ नहीं जानता,
उसकी आलमारी से दो चार खत उर्दू में निकले हैं..!

Rushda Sadaf By : Rushda Sadaf

Mohabbat Shayari Views - 230 25th Jan 2022
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