जो मेरी नफ़रत के भी काबिल नहीं,
मैं उससे इश्क़ कर बैठी थी,
मुझे मोहब्बत के नाम पर बदनाम किया उसने.
क्या करें उसकी फितरत ही ऐसी थी..!
0
Total Poet
0
Total Poetry
0
Ghazals
0
Subscribers
Total Poet
Total Poetry
Ghazals
Subscribers
जो मेरी नफ़रत के भी काबिल नहीं,
मैं उससे इश्क़ कर बैठी थी,
मुझे मोहब्बत के नाम पर बदनाम किया उसने.
क्या करें उसकी फितरत ही ऐसी थी..!
ऐ चाँद मेरे साथ चल सच दिखलाऊँ तुझे,
वो बच्चे भी भूखे हैं जो मामा कहते हैं तुझे..!
वो क्यों मेरी महोब्बत का ऐसे मजाक बनाता है?
नहीं करता मुझसे प्यार कहता है ये बात हर बार,
वो क्यों मेरी एक तरफ़ा महोब्बत पे रोक लगाता हैं?
नहीं बना सकता मुझे वो अपना,
देखने भी नहीं देता मुझे उसका सपना,
वो क्यों इतना मुझे तड़पाता है?
किसी और का हो चूका है,
ऐसी बात से मुझे कई बार मार चूका है,
वो क्यों मेरी महोब्बत का ऐसे मजाक बनाता है.?
वो क्यों मेरी एक तरफ़ा महोब्बत पे रोक लगाता है.?
वो क्यों इतना मुझे तड़पाता हैं.?
हकीकत अगर बन जाए अफसाना तो क्या कीजिए..?
अगर हो जाए कोई प्यार में दीवाना, तो क्या कीजिए..?
जिसके पास रहने की मांगी ढेरों दुआएं,
अगर वो ही तलाशे दूर जाने का बहाना, तो क्या कीजिए..?
जिसको उठा रखा है सर पर अपने,
अगर वो ही चाहे नज़रों से गिराना, तो क्या कीजिए..?
और जिसके साथ की तम्मना करता है ये दिल,
अगर वो ही चाहे हांथ छुड़ाना, तो क्या कीजिए..?
हर रोज़ याद आती है मौत मुझको,
जीते जी जो कर दिया है फौत तुझको..!
© Copyright 2020-24 bepanaah.in All Rights Reserved
