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सबकी अपनी दुनिया है,
सबका एक ज़माना है,
कुछ दिन की मोहलत है,
आख़िर सबको जाना है,
अच्छा हूँ और बुरा भी,
सबका एक पैमाना है,
उसे यकीं है कम मुझपर,
लेकिन दोस्त पुराना है,
अब वो नज़र नहीं आता,
पर उधर से आना जाना है,
तुम बैठो तो पास मेरे,
तुमको गीत सुनाना है,
इतनी शर्त नहीं रखते,
ये भी तो समझाना है,
ख्वाबों में जाकर उसके,
बालों को सहलाना है,
ये ख़्वाहिशें हैं जैसे फूल,
आख़िर में कुम्हलाना है..!
मत पूछो वो रात हमारी कैसे गुजरी थी,
पानी की चादर थी और आग पूरे तन में लगी थी..!
मुहब्बत करो, लेकिन,
खुद्दारी का सौदा नहीं..!
इस चेहरे से मुस्कुराहट को धोया जाए,
क्यों ना फुर्सत से आज कहीं बैठ कर रोया जाए,
फिर से आज कलम को स्याही में भिगोया जाए,
क्यों ना अपने ग़मो को लफ्ज़ो में पिरोया जाए,
आएंगे ना वो लौटकर चाहे ये रात भी गुज़र जाए,
अब ख़त्म करके इंतजार क्यों ना ख़ुद को ख़ुद में सुमोया जाए..!
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