सबकी अपनी दुनिया है,
सबका एक ज़माना है,
कुछ दिन की मोहलत है,
आख़िर सबको जाना है,
अच्छा हूँ और बुरा भी,
सबका एक पैमाना है,
उसे यकीं है कम मुझपर,
लेकिन दोस्त पुराना है,
अब वो नज़र नहीं आता,
पर उधर से आना जाना है,
तुम बैठो तो पास मेरे,
तुमको गीत सुनाना है,
इतनी शर्त नहीं रखते,
ये भी तो समझाना है,
ख्वाबों में जाकर उसके,
बालों को सहलाना है,
ये ख़्वाहिशें हैं जैसे फूल,
आख़िर में कुम्हलाना है..!