झूठी खुशियाँ देखते हैं लोग,
ग़म को कहाँ पहचान पाते है,
लोगों का काम है दर्द देना,
मरहम तो हम ख़ुद ही लगाते हैं..!
झूठी खुशियाँ देखते हैं लोग,
ग़म को कहाँ पहचान पाते है,
लोगों का काम है दर्द देना,
मरहम तो हम ख़ुद ही लगाते हैं..!
Doston Ki Dosti Sabse Pyari hoti hai,
Gusse mein ho Agar Dost to usse manane Ki zimmedari Hamari hoti hai,
Jis Din Na Mile Ham Doston Se
us Din Ki Adhuri Kahani Hamari hoti hai,
Rakhe Salamat Khuda mere doston ko
Aakhir unhe hi Suna Kar mukmmal Meri shayari hoti hai...
न मिले किसी का साथ तो कोई बात नहीं,
तन्हाई महसूस हो तो हमें कोई बात नहीं,
खुशियाँ बाटने के लियें दोस्त हजार रखते है,
जब ग़म बांटना हो तो हमें कोई बात नहीं।
Unhone Humse Kaha, Agar Ho Qubool Hamari Mohabbat to
hamare Hathon Mein Apna Haath dijiye,
Aur Nahin Hai tumhe Humse Mohabbat to chai Utha Lijiye,
Humne bhi apna Hath aage badhaya aur chai Utha li...
चाहा था हमनें भी इश्क करना,
पर हमें इसमे अपना नुकसान नज़र आया,
कैसे करें ऐतबार खुद से ज्यादा किसी पर,
हर दफ़ा बस यही सवाल आया,
नहीं मिलतीं यहाँ वफ़ा इन मिट्टी के पुतलों से,
अगर करना ही है इश्क तो करो ख़ुदा से..!
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