"माँ"
मैं हँसूं तो वो हँसती है,
मैं रोऊ तो वो रोती है
मेरी तकलीफ़ में वो, सबसे ज्यादा दर्द सहती है,
सच कहूँ तो उसकी जान मुझमें ही बसती है..!
Maa
By : Heena dangi
Maa Shayari
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29th Oct 2020
"माँ"
मैं हँसूं तो वो हँसती है,
मैं रोऊ तो वो रोती है
मेरी तकलीफ़ में वो, सबसे ज्यादा दर्द सहती है,
सच कहूँ तो उसकी जान मुझमें ही बसती है..!
मेरी कहानियाँ तो मेरी आँखों में ही छुपी हैं,
ये लफ़्ज़ों का जाल तो यूंही बून डाला हैं,
कोई पास बैठ झांकें कभी इनमें,
मैंने बस आंखों से सब कुछ कह जाना हैं..!
यह वही मगंलवार था जब मेरी मोहब्बत का इकरार था,
पता नहीं किस किताब में लिखा था उसके पास मेरे साथ गुजारे हर एक लम्हे का हिसाब था,
उसने गले लगाकर कहा था कि छोड़कर नहीं जाऊंगी कभी,
पर यारो आज एक सप्ताह हो गया वो ना आई लौटकर अभी...!
Talash-e-mohabbat mai nikle the hum
Gam-e-hijir hi hath aaya,
Raah-e-mohabbat mai wafa paane chale the hum
Magar bewafaon ka mela nazar aaya...
Kismat buri thi humari,
Lakin logo ne Hume bura samjha,
Waqt ka pahiyaa ek jagha nahi rukta sahab,
Waqt badla, kismat badli or phir logo ki soch bhi...
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