कभी तन्हाई की महफ़िल, तो कभी रुसवाई के मेले,
अपनो के जलसों मे न जानें क्यो है हम अकेले,
कभी ख़ामोश के मन्ज़र,
तो कभी उठते हैं तूफानों के समन्दर,
कभी ग़म के अंधेरे,
तो कभी रौशन कर जाते हैं दर्द के सवेरे,
अपनो के जलसों में न जानें क्यो है हम अकेले..!
Apno ke jalso me
By : Ammara Khan
Tanhai Shayari
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2nd Sep 2020