झूठी खुशियाँ देखते हैं लोग,
ग़म को कहाँ पहचान पाते है,
लोगों का काम है दर्द देना,
मरहम तो हम ख़ुद ही लगाते हैं..!
Marham khud lagate hain
By : Ammara Khan
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ammukhan590
Dard Shayari
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21st Sep 2020