मुझसे जब अलविदा कहो तो मुस्कुरा देना,
मुझसे बिछड़ने की एक ही सही पर वज़ह देना,
मेरी चाहत मे क्या कमी थी ये भी बता देना,
मेरी आशिकी की जो सज़ा है वो सुना देना,
मैं तुझको ख़ुद से कैसे मिटाऊ ये बता देना,
बिन तेरे कैसे जीना है ये सिखा देना..!
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मुझसे जब अलविदा कहो तो मुस्कुरा देना,
मुझसे बिछड़ने की एक ही सही पर वज़ह देना,
मेरी चाहत मे क्या कमी थी ये भी बता देना,
मेरी आशिकी की जो सज़ा है वो सुना देना,
मैं तुझको ख़ुद से कैसे मिटाऊ ये बता देना,
बिन तेरे कैसे जीना है ये सिखा देना..!
उसको गले लगाकर दिल अलविदा कहना चाहता है,
दिल भी कितना पागल है देखो क्या-क्या चाहता है,
वक़्त, मुहब्बत, खूलूस, इज़्ज़त एतेबार सब कुछ तो दिया है मैंने,
अब तू मुझसे इस रिश्ते में और क्या-क्या चाहता है,
एक ज़माना था जब दिल नहीं खिलौने टूटा करते थे,
अब देखो ज़माना बसर-ए-ज़िन्दगी के खातिर क्या-क्या चाहता है,
बुलाया है आज मैंने उसको शाम की चाय पर,
पता तो चले आखिर वो हमसे और क्या-क्या चाहता है..!
फ़र्क होता है मानने और मनाने में,
फ़र्क होता है मिलने और मिल जाने में,
फ़र्क होता है किसी का हो जाने में,
और किसी को अपना बनाने में,
फ़र्क होता है दिल लुभाने में,
और दिल दुखाने में,
फ़र्क होता है "अम्मारा" किसी को भुलाने में,
और किसी को भुलाने जाने में..!
उसकी आहट से उसे पहचान लेती हूँ,
बिन कहे उसकी हर एक बात जान लेती हूँ,
चलो वो मेरा नहीं ये मान लेते हूँ,
पर उसके बिना मैं बेजान जैसी हूँ,
मैं दिल में उसके अरमान लिए बैठी हूँ,
बस अपना यही नुकसान किए बैठी हूँ..
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