मत पूछो वो रात हमारी कैसे गुजरी थी,
पानी की चादर थी और आग पूरे तन में लगी थी..!
Aag pure tan mein lagi thi
By : Heena dangi
Tanhai Shayari
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21st Dec 2020
मत पूछो वो रात हमारी कैसे गुजरी थी,
पानी की चादर थी और आग पूरे तन में लगी थी..!
मुहब्बत करो, लेकिन,
खुद्दारी का सौदा नहीं..!
हमारे शहर के हर एक चौक पे तमाशा है,
मासूम हाथों में क़लम की जगह काँसा है..!
सुनो, हाँ तुम ही कभी खोदकर देखी है तुम अपनी जिस्मो की कबरें,
मिलेंगी ख्वाहिशें कुछ जिन्हे तुम सब अंदर ही मार देते हो..!
ख़ूबसूरत होती है दूर की मुलाकात,
क़रीब से पता चल जाती है इन्सान की औकात..!
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