अंधेरे में खो कर अकेले सह रही हूँ , मैं तड़प रही इस तन्हाई में..!
तेरे इश्क़ की मैं मरीज़ बन रही हूँ, तु ज़हर मिला इस दवाई में..!!
अंधेरे में खो कर अकेले सह रही हूँ , मैं तड़प रही इस तन्हाई में..!
तेरे इश्क़ की मैं मरीज़ बन रही हूँ, तु ज़हर मिला इस दवाई में..!!
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