ये जो नूर हैं इस चांद का,
ना जाने क्यों तुम्हारे चेहरे से मिलता है!
बादलों में छुप कर भी जैसे ये चांद चमकता है,
तुम्हारा चेहरा भी अनेकों परेशानी के बाद भी,
ऐसे ही तो दमकता है..!
माना की मेरे इश्क़ का ही ये खुमार है,
जो मेरी मुस्कुराहट को तुम्हारे होठों पर बिखेरता है,
और तुम्हारे अश्कों को मेरी आंखों से बहा देता है!!
ये जो नूर हैं इस चांद का...
कुछ तो मिलता-जुलता हैं तुम में और इस चांद में,
जैसे ये चांद रात के अंधेरों को कम कर देता हैं,
वैसे जैसे मेरे जीवन के अंधेरों में तुमने रोशनी भरी है,
माना की मंजिल अभी ज़रा दूर हैं,
पर साथी तुम हो तो ये भी मंजूर हैं..!
ये जो नूर हैं इस चांद का...
तुम्हें मुस्कुराता देख ये चांद भी खिलखिला उठता है,
और तुम्हारे रुठ जाने पर ये खुद को बादलों में छुपा लेता है,
ये मेरे चेहरे का नूर भी तुमसे है,
अब चाहे मोहब्बत कहों, इश्क़ कहों या कहों इसे प्यार,
सब तुम्हीं से है!!
ये जो नूर हैं इस चांद का,
मेरे लिए ये भी तुम्हीं से हैं..!