ऐ वक़्त कभी ठहरकर,
मुझे देख भी लिया कर,
तेरे इन्तज़ार में सब है,
कभी ख़बर भी लिया कर
तुझे कैसे हम बताए?
जो हैं तूने ज़ुल्म ढाए
अपने हुए पराए
अब तुझसे क्या छुपाए
थोड़ा आहिस्ता गुज़र अब
जो बिछड़े हैं, लौट आएँ,
ऐ वक़्त कभी ठहर कर
ऐ वक़्त कभी ठहरकर,
मुझे देख भी लिया कर,
तेरे इन्तज़ार में सब है,
कभी ख़बर भी लिया कर
तुझे कैसे हम बताए?
जो हैं तूने ज़ुल्म ढाए
अपने हुए पराए
अब तुझसे क्या छुपाए
थोड़ा आहिस्ता गुज़र अब
जो बिछड़े हैं, लौट आएँ,
ऐ वक़्त कभी ठहर कर
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