तुम संकल्प तुम्हीं साधना हो मेरी,
निर्दयी, निष्ठुर तुम यातना हो मेरी।
अब अधिक होड़ नहीं कुछ हासिल हो,
मिले तो बस वह तुम, यह कामना है मेरी।
सब कुछ मांगना पड़ा है जिंदगी में,
खुद नहीं मिला कुछ ये वेदना है मेरी।
तुम्हारी मनाही पर भी चाह रहा हूँ प्रतिपल,
उमंग, उत्कंठा तुम प्रेरणा हो मेरी।
कितना भी नजर अंदाज करलो मुझे,
तुम प्रतिज्ञा तुम्हीं वन्दना हो मेरी ।