Tum Sikha do na

नाराज तो नहीं हूं तुमसे ना तुमसे कोई बैर है मेरा
गुस्सा भी नहीं करता तू कौन सा गैर है मेरा

हां ये बात तो है कि थोड़ा सा ना समझ हूं मैं
समझाना नहीं आता मुझे तो इसमें क्या कसूर है मेरा

सुना है इस जहां के परे भी एक जहां है 
हाथ पकड़ कर मेरा तुम वो जहां दिखा दो ना
मुझे नहीं आता इश्क करनातो क्या हुआ 
आओ तुम सिखा दो ना 

वादा तो नहीं करता कि आगे से तंग नहीं करूंगा मैं
हां ये कह सकता हूं कि तुम्हारे आगे अब रोज पानी भरूंगा मैं
तुम्हारा कभी पैर दुखे या सर चकराए तो कहना मुझसे 
उस दर्द को भुलवाकर घंटों तुमसे बातें करूंगा मैं

सुना है तुम्हारे हाथों की लकीरों में नाम छुपा है मेरा 
आज वो मेरा लिखा नाम दिखा दो ना 

मुझे नहीं आता इश्क करना तो क्या हुआ 
आओ मुझे सिखा दो ना, मुझे सिखा दो ना 

अच्छा बाबा आज तुम्हारी जुल्फों की उलझन को मैं सुलझाता हूं
तुम थक गई होंगी ना, कोई बात नहीं आज खाना मैं बनता हूं
रात में मेरे खर्राटे तंग करते होंगे ना तुम्हें
चलो आज पूरी रात जागकर मैं तुम्हें सुलाता हूं

तुम जो भी कहो गलती तो की है मैंने तुम्हें सताकर 
आज मेरी हर गलती का हिसाब मुझे लिखा दो ना 
मुझे नहीं आता इश्क करना तो क्या हुआ 
आओ तुम सिखा दो ना आओ तुम ही सिखा दो ना.

By : Maan Ashiwal

Follow on Instagram maan.ashiwal
Hindi Poetry Views - 463 5th Jul 2020

Share Poetry on social media

Message


About Us
Bepanaah.in is a feeling that is very attached to our life. Like unbridled joy, unbridled pain, unbridled love. this website important for those pepole who love to write, who express own feelings. We update our website periodically with fresh shayari thats why you find unique and latest sher o shayari on Bepanaah.in
Follow Us
Facebook Likes

© Copyright 2020-24 bepanaah.in All Rights Reserved