तुम अनजान ही अच्छे थे,
ना तुम आते, ना मुस्कुराते ना ये हाल होता हमारा,
कि अब अकेले में खुद से गिले-शिकवे होने लगे हैं,
तुम अनजान ही होते तो अच्छा होता,
कि लफ्जों से प्यार ना होता हमें,
तेरी मौजूदगी पर हमेशा एतबार ना होता,
हमें फिर तुमसे कभी प्यार ना होता हमें,
काश कि
तुम अनजान ही रहते हमसे,
तो हमें खुद से लगाव थोड़ा ज्यादा होता,
दूसरों से निभाने की वफा का न वादा होता,
ना खुद से यूं रूठा करते हम,
कि अच्छा होता तुम से अनजान ही होते हम...