तमन्ना थी उसे अपना बनाने की,
प्यार में हद से गुज़र जाने की,
आलम ये है के अब हो गई है खुद से नफ़रत,
कुछ ऐसी सज़ा मिली हमें दिल लगाने की,
और जब होना ही नहीं था हमारा तुम्हे,
तो क्या ज़रूरत थी मुलाक़ात बढ़ाने की,
लोग कहते हैं खुश रहा करो,
कोई वजह भी तो हो मुस्कुराने की..!