सुनो दोस्त एक बात हमारी,
कर दी है रब ने हम पर मेहरबानी,
ना जाने किस स्याही से लिखी गई थी किस्मत हमारी,
मिलना, बिछड़ना फ़िर मिल जाना शायद यही लिखा था तकदीर मे हमारी,
दुश्मन था हमारी मोहब्बत का सारा ज़माना,
पर रब ने तो कुछ और ही थी ठानी,
शुक्रगुज़ार हूँ मैं रब की जिसने मेरी ये दुआ मानी,
कर दी है उसने मुकम्मल "अम्मारा" हमारे इश्क़ की कहानी..!
