Shaam wali chai

पतझड़ में भी बहार होती है, शाम वाली चाय,
बहुत खुश-गवार होती है, शाम वाली चाय,

शराब पीलो, सिगरेट पीलो, या पीलो तुम जूस,
इन सब से शानदार होती है, शाम वाली चाय,

दोपहर की मेरी थकान अक्सर मिटा देती है,
अमृत में शुमार होती है, शाम वाली चाय,

उन दोस्तों का बिल अक्सर ज़्यादा कटता है,
जिन पर उधार होती है, शाम वाली चाय,

न पत्ती और दूध कम, न चीनी और पानी ज़्यादा,
स्वाद के अनुसार होती है, शाम वाली चाय,

सुबह दोपहर की एक एक, और रात की भी एक,
लेकिन चार-चार होती है, शाम वाली चाय,

"जामी" गैस जलाता है, फिर उबाल आता है,
तब जा के तैयार होती है, शाम वाली चाय..!

By : Jami Ansari

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Chai Poetry Views - 785 21st Jun 2022

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