सीने से लगा कर सुन वो धड़कन,
जो हर पल तुझे मिलने की ज़िद करती हैं,
जिन बातों को हम कह भी न सकते हैं,
उन्हें खामोशी अच्छे से बया करती हैं,
मेरी दलीले हर बार टाल दी जाती हैं,
मुलाकात के ज़िक्र पर मुझे नयी तारीख मिलती हैं,
अल्फ़ाज़ काफी हो चुके हैं,
तुम सुनने तो आओ मेरी ये धड़कन भी कुछ कहती हैं..!