"मुख्तसर सी है ये ज़िन्दगानी,
बहते सागर में जैसे रवानी...!
मेरी आँखे भी सहरा बनी हैं,
ख़त्म होता जा रहा है पानी.!
हर किसी को नहीं है सुनानी,
हाँ, जैसी भी है मेरी कहानी.!"
यूँ तो दामन भी है लथपथ,
लेकिन बेदाग़ है ये जवानी...!
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