हार जाती हूँ हाथों की लकीरो से अक्सर,
ज़िन्दा रहे जज्बा गर तो कोशिशें बेअसर ही सही,
कोई टटोल ले मुझे, मैं इतना वक़्त नहीं देती,
जो हैं नाराज, उन अपनो से मैं बेखबर ही सही
मेरी पहुँच तय कर लेगी मेरे ख्वाबों की औकात,
अभी कहते हैं लोग, तो ख्वाब सारे मुख्तसर ही सही..!
Mukhtasar
By : Anshi srivastava
Follow on Instagram
sirfiri_
Intezaar Shayari
Views - 320
10th Aug 2020