मैं गम के सांचे में ढल रही हूं, रो रही हूं, मुझे हसाओ,
कभी गिर रही हूं संभल रही हूं, रो रही हूं, मुझे हसाओ,
इत्र की डिबिया से जैसे कोई खुशबू निकलती हो वैसे,
उसके हाथों से निकल रही हूं, रो रही हूं, मुझे हसाओ,
उससे बिछड़न और जुदाई के गम को अपने सर पे लेकर,
हर क़दम आग में जल रही हूं, रो रही हूं, मुझे हसाओ,
तेरी बातों को याद करके तेरे वादों को याद करके,
जानें किस राह पे चल रही हूं, रो रही हूं, मुझे हसाओ,
काली रातों मे तन्हा "जामी" मोमबत्ती की तरह मैं,
लम्हा लम्हा पिघल रही हूं, रो रही हूं, मुझे हसाओ..!