मेरी तन्हाई मेरी हमदम है,
मेरे अक़्स में वो बरहम,
जो दे कोई गम मुझे,
मेरी जख्मों का वो मरहम है,
मेरे अश्कों में जो पुरनाम,
मेरी तन्हाई ही मेरी महरम है..!
मेरी तन्हाई मेरी हमदम है,
मेरे अक़्स में वो बरहम,
जो दे कोई गम मुझे,
मेरी जख्मों का वो मरहम है,
मेरे अश्कों में जो पुरनाम,
मेरी तन्हाई ही मेरी महरम है..!
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