बिन उन्वान की कहानी है,
यार, कैसी तेरी जवानी है,
हाँ, बड़े मजे थे लडकपन में,
अब हर बात आनी-जानी है,
चंद क़तरे थे उस दरिया में,
अब तो हर तरफ रवानी है,
मिलने से पहले सोच लीजे,
आज फिर बात क्या बनानी है,
कुछ दूर तक मेरे साथ चलिए,
तुम्हें एक बात भी बतानी है,
मैं कसीदे नहीं लिखता क्योंकि,
ये मेरी क़लम ज़ाफ़रानी है..!