कहीं दूर तन्हा विराना सा,
एक रास्ता होना चाहती हूँ,
बरसते हुए सावन की,
मैं हरियाली होना चाहती हूँ,
बहते हुए पानी की,
मैं रवानी होना चाहती हूँ,
कहीं दूर तक छाए हुए अन्धेरे की,
मैं रौशनी होना चाहती हूँ,
बिना रस्मो रिवाज़ के,
मैं ज़िन्दगी जीना चाहता हूँ,
मै आज "मैं " होना चाहती हूँ..!