उलझे जीवन की उलझनों में, मैं सुलझन तलाशती हूं।
मैं ख्वाबों की इस दुनिया में, एक ख्वाब तलाशती हूं।
नफरतों की इस नगरी में, मैं मोहब्बत तलाशती हूं।
इन काफ़ी के कपों के बीच, मैं चाय की एक प्याली तलाशती हूं।
जिस्मों की चाहत से परे, मैं रुह का सुकून तलाशती हूं।
रातों को नींद में भी, मैं सिरहाने तुम्हें तलाशती हूं।
मेरे बालों की उलझी लटों में, मैं तुम्हारे हाथों की छुअन तलाशती हूं।
भीड़ भरी इस महफ़िल में, मैं सिर्फ तुम्हें तलाशती हूं।