Maa deti rahi duaaon pe duaayen mujhe

वो जिधर देती रही सदाओं पे सदाएं मुझे,
उड़ा ले गईं उधर हवाओं पे हवाएं मुझे,
 
थी ग़म ए यार की बीमारी मैं ठीक होता कैसे,
खिलाई गईं तमाम दवाओं पे दवाएं मुझे,
 
कभी उठना आंखो का कभी जुल्फें लहराना,
मार डालेगी तेरी ये अदाओं पे अदाएं मुझे,
 
तू ख़ामोश खड़ा था तब, जब मोहब्बत की,
सुनाई जा रहीं थी सज़ाओं पे सज़ाएं मुझे,
 
मैं वो जो उसके हंसने पर सब भूल जाता हूं,
और वो गिनाती रही खताओं पे खताए मुझे,
 
एक मैं, जो अपनी मां को कुछ न दे सका जामी,
और एक मां जो देती रही, दुआओं पे दुआएं मुझे..!

By : Jami Ansari

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Mohabbat Shayari Views - 372 25th Jan 2022

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