लाज़मी नहीं कि तुझे आंखों से देखू,
तुझे सोचना भी तेरे दीदार से कम नहीं,
लाज़मी नहीं कि तुझे बस हाथों से छूकर प्यार करूं,
तेरी रूह को छूकर हुआ प्यार भी तो कम नहीं,
लाज़मी नहीं कि तुझे पाना ही जरूरी सा है मुझको,
तेरी बातों में मेरा अफसाना मिल जाए तब भी तो पा ही लिया है मैंने तुझको,
लाज़मी तो बस ये है कि अच्छी बुरी यादों में ही सही,
मैं जिंदा रहूं तुझमें एक किस्से की तरह,
चाहे जिंदगी में तू रह जाए मेरे एक अधूरे से एक हिस्से की तरह...