ऐ ज़िन्दगी तुझसे मुझे कोई शिकवा नहीं,
तु ख़ुदा की है एक नेअमत,
मिलती है तु युँ ही नहीं,
ऐ ज़िन्दगी तुझसे मुझे कोई शिकवा नहीं,
आसान नहीं है चलना राह में तेरी,
कभी हमको मिले तेरी राह में ग़म,
कभी हमको मिली तेरी राह में ख़ुशी,
माना के तु मुश्किल से है गुज़रती फिर भी,
ऐ ज़िन्दगी तुझसे मुझे कोई शिकवा नहीं,,
आती है जब हम पे मुश्किल घड़ी,
मिलती है हमको नसीहत बड़ी,
कहते सब चार दिन की हैं ये ज़िन्दगी,
पर है ये गलत,जीते है तुझको सब जब तब है साँस किस्मत में लिखीं,
ऐ ज़िन्दगी तुझसे मुझे कोई शिकवा नहीं,
जब तक है ये साँसे मुझको मिली,
करती रहूंगी मैं शुक्र खुदा का हर घड़ी,
के दी उसने मुझे इतनी हसीन ज़िन्दगी,
ऐ ज़िन्दगी तुझसे मुझे कोई शिकवा नहीं..!