कभी आंखो का तो,
कभी दिल का कूसूर होता है ,
यूँ ही नहीं कोई मजबूर होता है,
कभी होंटों से तो कभी बाहों से लूट लेता है.
किसी को न हो ये इश्क़,
इस मे बहोत फ़ितूर होता है..!
कभी आंखो का तो,
कभी दिल का कूसूर होता है ,
यूँ ही नहीं कोई मजबूर होता है,
कभी होंटों से तो कभी बाहों से लूट लेता है.
किसी को न हो ये इश्क़,
इस मे बहोत फ़ितूर होता है..!
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