किसी की आबरू के खातिर क्या कोई मरता है,
किसी की जुस्तजू में क्या कोई आह भरता है,
किसी की गुफ्तगू से क्या कोई बिखरता है,
दिल_ए_दर्द भी क्या कोई मरहम से सुधरता है,
किसी के हुबाहु भी क्या कोई मिलता है,
नशा ये आरज़ू का बताओ कैसे उतरता है..!
किसी की आबरू के खातिर क्या कोई मरता है,
किसी की जुस्तजू में क्या कोई आह भरता है,
किसी की गुफ्तगू से क्या कोई बिखरता है,
दिल_ए_दर्द भी क्या कोई मरहम से सुधरता है,
किसी के हुबाहु भी क्या कोई मिलता है,
नशा ये आरज़ू का बताओ कैसे उतरता है..!
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